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कहीं पुरुष सुरक्षा कानून की जरूरत न पड़जाये

कृपया अति से बचें
कृपया अति से बचें
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आज हर और नारी सुरक्षा ने नारे गूँज रहे हैं चाहे जननी सुरक्षा जैसे पॉलिसी हो या ,सामूहिक बलात्कार या कार्यक्षेत्र में उत्पीड़न रोकने के लिए बनने वाले नए -नए क़ानून हो। यह अच्छी बात है युगों से प्रताड़ित की जाने वाली नारी हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही है।आज दहेज़ लोभी सलाखों के पीछे पहुंचाए जा रहे हैं ,कन्या भ्रूण हत्या के दोषी सजा पा रहे हैं ,सड़कों पर छेड -छाड़ करने वाले मजनूं सरे आम पिट रहे हैं। पर क्या यह आवश्यक है कि एक के उत्थान के में हम इतना खो जाये कि दूसरा तब तक याद न आये जब तक वह पीड़ित की श्रेणी में न पहुँच चुका हो। जो अपराधी हैं वे दंडित होने चाहिए ,पर आज गेहूं के साथ घुन भी पिस रहा है। हर पुरुष कामुक नहीं होता सारे ससुर दहेज़ लोभी नहीं होते ,न सड़क पर चलने वाला हर युवा लफंगा होता है। हमारी कानून व्यवस्था की कमियों के कारण कई निर्दोष चंगुल में फंस जाते हैं ,और ऐसे अपराध के लिए दण्डित होते हैं जो उन्हों ने किया ही नहीं। सामाजिक निंदा के भय से व्यक्ति किसी तरह पुलिस तक जाता है तो वहाँ भी जल्दी उसकी सुनवाई नहीं होती और उपहास का पात्र अलग बनता है। किसी तरह केस अगर न्यायालय तक पहुँच भी गया तो अधिकतर कानून तो विरोधियो के पक्ष में ही होते है। ऐसे केस पर हमारा मीडिया भी ध्यान नहीं देता क्यों कि वह चटपटा मसाले दार नहीं होता। यह जितना बड़ा सच है कि नारी का सदा ही शोषण होता रहा है उतना ही बड़ा सच यह भी है कि इसके अपवाद कम नहीं हैं। आने वाले समय में यह अपवाद बढ़ कर एक गम्भीर रूप न ले लें। सावधानी अभी से बरतनी हो गी कानून के सुराखों को ढकना हो गा जिससे दोषी बच न सके और निर्दोष सुरक्षित जीवन जी सकें

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