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महिला उत्थान कमेटी की अध्यक्षा सुलोचना जी के घर में मीटिंग चल रही थी,विषय था बहू बेटियों पर विश्वास।उपाध्यक्षा मृणालिनी बोल रही थी हम सब पढ़े लिखे मॉडर्न लोग है अपनी युवा पीढ़ी पर अगर हम ही विश्वास नहीं करेंगें तो अनपढ़ गंवार जनता के सामने क्या उदाहरण रखेंगे। मीटिंग के अंत में सुलोचना जी ने भाषण देने के लिए मुंह खोला ही था कि मोहल्ले के चार वर्षीय संवाददाता चिंटू जी ने सूचना दी — छुजल की दादी छुजल की मम्मा अंकल पर गिर गई फिर उनको प्यार किया और उनके साथ भाग गयी– । सुजल सुलोचना जी का पोते का नाम था।सुलोचना जी ने पूछा, तुमसे किसने कहा ?मैंने देखा है कहते हुए चिंटू भाग गया। सुलोचना जी सोफ़े में धंस गई।चिंटू जी की सूचना ने सारी सदस्याओं के तेवर बदल दिए थे। सुलोचना जी ने बहू के लिए क्या नहीं किया उसने यह सिला दिया –,जवानी दीवानी होती है पर इनकी बहू ने तो एक बच्चे की माँ हो कर ऐसी हरकत की,आजादी पचाना सब के बस कि बात नहीं होती ,अरे आजादी-वाजादी भाषणों में ही अच्छी लगती हैं असलियत में तो बहू को कंट्रोल में रखनी चाहिए जैसे कमेंट्स पास होने लगे।कांताबाई जल्दी से रसोई छोड़ बाहर कर हंसने लगी– आप सब चिंटू की बात मान कर देवी मैया जैसी बहूरानी पर शक करे हैं।कोई फोन तो करो बहूरानी किसी मुसीबत में न हों। मॉडर्न महिलाओं ने हिकारत से कांता बाई को देखा यह गंवार क्या जाने दुनिया में क्या -क्या होता है।इतने में सुलोचना जी की बहू आभा ने अपने घायल पति अजय के साथ घर में प्रवेश किया। अजय को सोफे पर लिटा कर आभा सिसकते हुए सुलोचना जी से लिपट गयी, अजय ने कहना शुरु किया -माँ आज आभा ने मुझे बचा लिया मैं एक तेज रफ़्तार कार की चपेट में आने वाला था कि आभा भागती हुई आई मुझे किनारे घसीट लिया ,जहाँ गिरने से मेरे सर में चोट लग गयी।पास के क्लीनिक से ट्रीटमेंट ले कर आ रहा हूँ। मॉडर्न महिलाएं नज़रें झुकाये खिसक रही थीं,और गंवार कांताबाई की विजयी मुस्कान उनका पीछा कर रही थी।
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